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ना परेशान हूँ

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच के सदस्य कवि वैद्यराज भूपाल त्र्यंबक देशमुख ने लिखी हुई बेहतरीन कविता*

 

*ना परेशान हूँ* 

 

ना परेशान हूँ उसके दिलसे या दिमाग से

हमे प्यारी लगती नही उसकी ज़ुबान है ।।

 

ना परेशान हूँ उसकी अक़्ल से या मन से

हमे प्यारा लगता नही उसका नजरिया है ।।

 

ना परेशान हूँ उसकी बाहों से या होठों से

हमे प्यारी लगती नही उसकी नजदीकियां है ।।

 

ना परेशान हूँ उसकी सांसों से या धडकनों से

हमे प्यारी लगती नही उसकी लगन है ।।

 

ना परेशान हूँ उसकी गालों से या पेशानी से

हमे प्यारी लगती नही उसकी परेशानियाँ है ।।

 

पेशानी=भाल , ललाट

 

*©सर्वस्पर्शी*

©कविवर्य वैद्यराज भूपाल त्र्यंबक देशमुख.

९८२३२१९५५०

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