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|| संत ज्ञानेश्वर ||

जागतिक मराठी साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचच्या सदस्या ज्येष्ठ लेखिका कवयित्री सौ.ज्योत्स्ना तानवडे यांची भक्तीपूर्ण अभंग रचना

अलंकापुरीत | वसे ज्ञानराजा |
कैवल्याच्या तेजा | प्रकाशितो || १||

विठ्ठल रुक्मिणी | मायबाप धन्य |
वैकुंठीचे धन | उदरात ||२||

निवृत्ती ज्ञानोबा | सोपान मुक्ताई |
चार वेद ऐसी | भावंडे ही ||३||

जन्म आपेगावी | कर्म नेवाशात |
भक्तीच्या मार्गात | संत होई ||४||

निवृत्तीनाथांची | केली गुरूभक्ती |
जीवन आसक्ती | सोडोनिया ||५||

रेड्यामुखी वेद | वदवितो ज्ञाना |
धर्माच्या अज्ञाना | दूर सारी ||६||

गीता सांगे भक्ता | ज्ञानयज्ञ करी |
सांगे ज्ञानेश्वरी | प्राकृतात ||७||

ज्ञानियांचा राजा | भक्तीमार्ग दावी |
रचूनिया ओवी | हरिपाठ ||८||

विश्वकल्याणाची | धरीतसे आस |
पसायदानास | मागितले ||९||

ज्ञानोबा ‘माऊली’ | महान उपाधी |
घेतली समाधी | संजीवन ||१०||

ज्योत्स्ना तानवडे.
वारजे, पुणे.५८

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