You are currently viewing हमराज़

हमराज़

जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच सदस्या लेखिका कवयित्री अख्तर पठान की अप्रतिम काव्यरचना

सारा जहाँ तुझे ढूंढती रही,
तेरी गैरहाज़री नज़र आयी…।

पर दिल ने एक दस्तक दी
तेरी मौजूदगी नज़र आयी…।

तेरे आने से ज़िन्दगी में मेरे
एक नयी रौनक सी आयीं…।

जब तुम आए महफ़िल में
तो एक रौशनी सी झा गयी…।

दिल ने मेरे तुम्हें जब भी पुकारा,
तुम धडकन बनकर मुझमें समा गए…।

चाहे रास्ते जो भी हो ज़िन्दगी में,
तुम सदा के लिए मेरे हमसफ़र बन गए…।

*अख़्तर* ने उन्हें सबकुछ अपना मान लिया,
अपने ज़िन्दगी का हमराज़ उनको बना लिया…।

 

✍🏻 *अख़्तर पठाण*
*(नासिक रोड)*
*मो. 9420095259*

प्रतिक्रिया व्यक्त करा

12 + 1 =