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अब जिना सिख लिया मैंने

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच की सदस्या कवयित्री अख्तर पठान की बेमिसाल काव्यरचना*

🌹~ *अब जिना सिख लिया मैंने* ~🌹

*दिल का दर्द छिपाकर दिलमें* ,
*अब जिना सिख लिया मैंने …।।*

*हर हालात से डटकर लड़ना*,
*अब सिख लिया मैंने …।।*

*ये वक्त अभी जो थम सा गया*,
*उसे भीं अपनाना सिख लिया मैंने …।।*

*हरपल क़श्मक़श भरी ज़िंदगी को*,
*हंसकर गले लगाना सिख लिया मैंने …।।*

*अब हर बात को समझकर*,
*दिल बहलाना सिख लिया मैंने …।।*

*ज़िंदगी के हर इम्तिहान में*,
*अव्वल आना सिख लिया मैंने …।।*

*ऐ ख़ुदा तु जानता हैं मेरी अर्ज़िया*,
*दुआओं में उन्हें मांगना सिख लिया मैंने …।।*

*बरसेंगी कभीं तो तेरे रहमत की बारिश*,
*अब हर आँसू को पिना सिख लिया मैंने …।।*

*”अख़्तर” … हैं अगर काली रात, तो फ़िर होगी सुबह*,
*अब हर वक्त उम्मीद लगाना सिख लिया मैंने …।।*

 

✍🏻 *अख़्तर पठाण*
*(नासिक रोड)*

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