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अभंग आयुष्याचे..

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास म्हणजे सदस्य ज्येष्ठ लेखक कवी अनिल देशपांडे यांची अप्रतिम अभंग रचना*

 

अक्षरच्छंद अभंग (६-६-६-४)

*अभंग आयुष्याचे*

 

आयुष्य प्रवास। जन्मल्यापासून।

गन्तव्याचे स्थान। मृत्यू असे।।

 

जन्म बालपण। तारुण्य वार्धक्य।

अंति मृत्यु प्राप्य। प्रत्येकास।।

 

मानवी आयुष्य। एक्शेवीस वर्षे।

मृत्युपुर्वी नसे। निवृत्ती ती ।।

 

साठी गाठताच। म्हणे जो निवृत्त।

होई तो प्रवृत्त। मृत्युलागी।।

 

म्हणोनिच वदा। नाही मी निवृत्त।

तेणे होई चित्त। प्रफुल्लीत।।

 

साठी उपरांत। दुसरी ही खेळी।

देवोनिया टाळी। खेळावी ती।।

 

आहार, विहार। उत्तम विचार।

ऐसा सदाचार। पाळूनीया।।

 

तैसेचि सदैव। जपून आरोग्य।

कंठावे आयुष्य। आनंदाने।।

 

येणे धन्य व्हावे। जन्मासि येवून।

जावे परतून। समाधाने ।।

 

©अनिल देशपांडे®, कोलकाता.

दि. 07 एप्रिल 2022

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