*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच के सदस्य कवी, संगीतकार, गायक अरुणजी गांगल की लिखी हुई बेहतरीन कविता*
*“जगद्गुरु शंकराचार्य को वंदन”*
जगद्गुरु शंकराचार्य को नमन वंदन
चार पिठों का विश्व के लिए है बडा योगदानIIधृII
आदि शंकराचार्य जन्मे कालडी केरळ प्रांत
माता आर्याम्बा पिता शिवगुरू थे शिवभक्त
माता ने सिखाया शंकरजी को वेदोपनिषद II1II
हिंदू संस्कृती के है रखवाले आद्यप्रवर्तक
भारत के चारो दिशाके आप धर्म प्रतिपालक
सभी को देते सुविचार अभय वरदानII2II
दंडधारी रहते धर्म के लिये संन्यासी व्रतस्थ
विश्व की चिंता में रहते करते जन जागरण
शिव कृष्ण की उपासना सिखलाई है वेदांतII3II
पूरब में गोवर्धन पीठ शारदा पश्चिम में
उत्तर को ज्योतिष पीठ शृंगेरी दख्खन में
चाहते है समाजोंन्नती देते है ऊर्जा चैतन्यII4II
शंकराचार्य है वेदशास्त्र संपन्न निपुण
लिखे है ब्रह्म सूत्र उपनिषदों पर भाष्य ग्रंथ
रचे है संन्यास प्रणाली मठाम् नाय ग्रंथII5II
अद्वैत सिद्धांतोने कीये धर्म का संजीवन
विवेक चुडामणीने सिखाया भक्ती ग्यान
रचा है नर्मदाष्टकम् करते षड्धर्म पूजनII6II
समाज रहे मिलजुलकर करते है चिंतन
हिंदू धर्म स्वीकारे हृदयसे जो है सनातन
सिखाते है मानवता का होए कल्याणII7II
नित्य वेद पठन पाठन करवाते विद्यार्जन
सदा रहे निष्पक्ष करे नीति न्यायाचरण
स्मरण करे उनके ऋण रखे सबका सम्मानII8II
श्री अरुण गांगल कर्जत रायगड महाराष्ट्र.
पिन.410201.Cell.9373811677.