*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचच्या सन्मा सदस्या ज्येष्ठ लेखिका कवयित्री अरुणा दुद्दलवार लिखित अप्रतिम अभंग*
*श्रीदत्तगुरू*
काखेमधे झोळी। उभे धेनू श्वान
दावी श्रीचरण। दत्तगुरू।।
ब्रम्हा विष्णु शिव। त्रिमूर्ती सुंदर।
सार्थ निरंतर। दत्तगुरू।।
अनसूया माता।त्रैलोक्य लाभले।
बाळरूपी आले।दत्तगुरू।।
शांत सौम्य मूर्ती।मुखी प्रसन्नता ।
भक्तीने पूजता। दत्तगुरू।।
सगुण निर्गुण। आहेस सर्वत्र।
अर्पू फुलपत्र।दत्तगुरू।।
अनन्य भक्तीने।वंदिते तुजला।
मुक्ती विकाराला।दत्तगुरू।।
तव चरणांची।राहो मनी आस।
ध्यास *अरुणास*। दत्तगुरू।।
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अरुणा दुद्दलवार@✍️