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निर्गुणाचा ध्यास

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचच्या सन्माननीय सदस्य ज्येष्ठ लेखिका कवयित्री सौ.ज्योत्स्ना तानवडे लिखित अप्रतिम अभंग रचना*

 

निर्गुणाचा ध्यास

 

लागली जीवास | सगुणाची आस |

निर्गुणाचा ध्यास | अंतर्यामी ||१||

 

सगुण देखणे | लावण्य श्रीमंती |

आशीर्वच देती | निर्गुणात ||२||

 

भास चराचरी | संकेत ईश्वरी |

जाणीव गोचरी | दृढ होई ||३||

 

जाणे संवेदना | देव आत्मरूप |

वसतो अरूप | परमात्मा ||४||

 

अरूपाचे रूप | निर्गुण सगुण |

साक्षात्कारी जाण | अंतरात्मा ||५||

 

ज्योत्स्ना तानवडे. पुणे

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