You are currently viewing मंगल कलश

मंगल कलश

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच सदस्य ज्येष्ठ लेखक कवी गीतकार संगीतकार गायक अरुण गांगल लिखित अप्रतिम काव्यरचना*

*”मंगल कलश”*

मंगल कलशाला करूया वंदन
सर्व देवतांचे आहे वसती स्थान!!ध्रु!!

कलशांचे मुखांत विष्णू रुद्र कंठात
मुळांत ब्रह्मा आहे मध्ये मातृगण
कुशीत सागर सप्तद्वीप अवनित!!१!!

ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद अथर्ववेद
अंग संहिता समाविष्ट आहे कलशांत
गायत्री सावित्री शांतीपुष्टी करीत!!2!!

गंगा यमुना गोदावरी सरस्वती नमः
नर्मदा सिंधू कावेरी नद्यांचे सुदर्शन
दूरीत क्षय कारक दुःख नाशन !!3!!

तांब्यावर आम्र डहाळी तांबूल पान
श्रीफळ ठेवून कलशां करू पूजन
विद्या सिद्ध मोक्ष जय वर लक्ष्मी प्रसन्न!!4!!

श्री अरुण गांगल कर्जत रायगड. महाराष्ट्र.
पिन.410201.
Cell.9373811677

प्रतिक्रिया व्यक्त करा

5 − 1 =