जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच की सदस्या लेखिका कवयित्री अख्तर पठान की कविता
तुम हो चंद्रमा मैं हुँ एक तारा.,
बोलो कैसे होगा मिलन हमारा..।
तुम पास रहकर भी कितने दूर.,
क्या बताएं हम हैं कितने मजबूर..।
तुम बिन हमारा जिया लागेना.,
तुम्हें ये बात समझमें आएना..।
तुम हो कितने प्यारे सबके राजदुलारे.,
डाल दो एक नज़र इधर बनके हमारे..।
बैठे हैं हम तो शर्म से आहे भरे.,
कर दो इज़हार तुम दिल ये करें..।
जबतक रहे ये चाँद सितारे
तबतक बने रहो तुम हमारे..।
तुम पर मैं जाऊं वारी वारी.,
*अख़्तर* मान लो अब दिल हारी..।
✍🏻 *अख़्तर पठाण*
*(नासिक रोड)*