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दत्त अस्तित्व

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचचे सन्मा सदस्य ज्येष्ठ कवी गीतकार गायक संगीतकार श्री अरुणजी गांगल लिखित अप्रतिम काव्यरचना*

 

     *”दत्त अस्तित्व”*

 

दत्त आत्मा अस्तित्व आहे समाविष्ट सर्वांत

ब्रह्मा विष्णू महेश साक्षात त्रिमूर्ती दत्तIIधृII

 

दत्त नाम अवधूत अहंकार काढी धूवून

दिगंबर दिशा ज्याचे अंबर आहे वस्त्र

झोळी विनम्रता सर्वव्यापी आहे गुरुदत्तII1II

 

गाय उभी माय पृथ्वी शोभे कामधेनु ज्ञात

ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद अथर्ववेद श्वान

दत्ततत्त्व समाविष्ट आहे औदुंबर वृक्षांतII2II

 

कमंडलू जपमाळ ब्रह्मदेवाचे प्रतीक होत

शंख चक्र गदा आहे साक्षात विष्णू भगवान

त्रिशूल डमरू आहे शिवाचे अस्तित्वपणं II3II

 

दत्त माता पिता सोयरा बंधु प्रतिपाळ

उद्धारी गणिकां पशु पक्षांस करी निर्व्याध

हरिहर विधी अवतार करी कृपा अगाधII4II

 

©️ कवी.श्री अरुण गांगल कर्जत रायगड महाराष्ट्र

पिन.410201.Cell.9373811677.

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