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श्री दत्त जयंती

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचच्या सन्मा सदस्या ज्येष्ठ लेखिका कवयित्री मंजिरी अनसिंगकर लिखित अप्रतिम अभंग रचना*

 

*श्री दत्त जयंती*

 

अत्री अनसूया|थोर पुण्यवंत|

जन्मे भगवंत. |दत्तात्रेय|

 

हरि हर विधी |घेई अवतार |

प्रगटे भूवर |भक्तांसाठी

 

शिरी जटाजूट |कमंडलू हाती |

रूद्राक्ष माळ ती |गळ्यामध्ये |

 

पद्म नी त्रिशूळ |शंख चक्र गदा |

आयुधे सर्वदा | धारीली हो |

 

सुंदर सुमुख | शोभे प्रभावळ |

ते मुखकमळ |विलसे हो |

 

गुरू दत्तात्रेय |दयाळू कृपाळू |

असे कनवाळू | योगीराज |

 

श्रद्धा भावफुले |अर्पितसे तुज |

आशिष दे मज |दयाघना |

 

गुरूदेव दत्ता | जय अवधूता |

या शरणागता | सांभाळी रे |

 

नाम द्यावे चित्ती | पुरवी मागणी |

आर्त विनवणी | मंजिरीची |

 

सौ.मंजिरी अनसिंगकर

नागपूर.

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