You are currently viewing “श्री महालक्ष्मी करवीरवासिनी”

“श्री महालक्ष्मी करवीरवासिनी”

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचचे सन्माननीय सदस्य कवी गीतकार गायक संगीतकार श्री अरुणजी गांगल लिखित अप्रतिम काव्यरचना*

 

*“श्री महालक्ष्मी करवीरवासिनी”*

 

जय महालक्ष्मी करवीरवासिनी

विष्णू पत्नी शशिवदने संजीवनी।।धृ।।

 

माथी सयोनी लिंग नाग गदा धारिणी

ढाल पात्रक मातुलंगु करी धरुनी

रूप साजिरे पहाता भय जाय पळुनी।।1।।

 

तव आज्ञे फिरती रवी-शशी गगनी

दिन-चक्र चाले वर्षा हो तव आज्ञेनी

ब्रह्मा-विष्णू-महेश तव लीला मानुनी।।2।।

 

निर्गुण निश्चल निष्कल तू त्रिगुणी

कृपा आगाध जाणती जन योगी मुनी

परब्रह्म तू प्रगटसी विश्व कल्याणी।।3।।

 

भक्त येती शरण रमती चिंतनी

जन्म-मरणातीत स्थान मोक्षदानी

आशिष दे अन्नपूर्णा जगत् जननी।।4।।

 

काव्य:श्री अरुण गांगल कर्जत रायगड.महाराष्ट्र.

पिन.410201Cell.9373811677

प्रतिक्रिया व्यक्त करा