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जरा याद करो कुर्बानी

*काव्य निनाद साहित्य मंच पुणे समूहाच्या सदस्या ज्येष्ठ लेखिका कवयित्री प्रतिभा पिटके लिखित अप्रतिम काव्यरचना*

 

*जरा याद करो कुर्बानी*

 

वीरोने दी थी कुर्बानी अपने अनमोल जानकी

कभी न भूलो इस घटनाको ये कहानी है , भैया ,कारगीलकी —

 

दो देशोमे संवाद साधकर समझौतेका हुवा प्रयास

फिर भी गनीम बाज न आया तोड दिया मनका विश्वास

 

चरवाहा ले के आया, खबर बेईमानीकी

ये कहानी है भैया।कारगीलकी

 

शुरू हुआ युद्ध भयानक, द्वितीय युद्धके बादका,

हिला दिया सारी दुनियाको

अब तो लक्ष्य, विजय पानेका

जवान कितने हो गये घायल,

नही गिनती शहीद होने वालोकी

ये कहानी है भैया कारगिलके कुर्बानीकी —–

 

उंचाईपर चढना मुश्किल बर्फीले उंचे परबतपर

डटे रहे फिर भी जवान ऑपरेशन विजय पानेपर

 

वोफोर्स, मिग की ली सहायता फहराया तिरंगा, बडी शानसे

उंचे टायगर हिलपर

जीत हो गयी निर्भय इन जवानो की

ये कहानी है कारगिलके लडाईकी

शहीदोके कुर्बानीकी ।।

 

 

वंदे मातरम वंदे मातरम!💐🇹🇯

 

प्रतिभा पिटके

अमरावती

९४२१८२८४१३

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