*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचच्या सन्माननीय सदस्या ज्येष्ठ कवयित्री ज्योत्स्ना तानवडे लिखित अप्रतिम अभंग रचना*
*🙏 राम कृष्ण हरी 🙏*
राम कृष्ण हरी | विठ्ठल रुक्मिणी |
जनक जननी | पंढरीत ||
राम कृष्ण हरी | जपते वैखरी |
वैकुंठ पंढरी | माऊलीची ||
राम कृष्ण हरी | आषाढीची वारी |
नाचे वारकरी | भजनात ||
राम कृष्ण हरी | देहाचा मृदुंग |
संकीर्तनी दंग | जीवे भावे ||
राम कृष्ण हरी | जीवाची पुण्याई |
सावळी विठाई | भेट देई ||
राम कृष्ण हरी | मुखाने भजन |
देह समर्पण | विठू पायी ||
राम कृष्ण हरी | सोपान मुक्तीचा |
मार्ग अनंताचा | खुला होई ||
ज्योत्स्ना तानवडे. पुणे