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“महर्षी वाल्मिकी मुनीं”

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचचे सन्मा. सदस्य लेखक कवी गीतकार गायक संगीतकार श्री अरुण गांगल लिखित अप्रतिम गीतरचना*

*”महर्षी वाल्मिकी मुनीं”*

वाल्मिकी मुनी महाकवि द्रष्टे अपार
नारद मार्ग दावी करी जीवनोद्धार।।ध्रु।।
वनांत बसून पोटार्थी करी वाट मार
कुटुंब गुजराण होई अज्ञानाने त्यावर।।1।।
तमसा तिरी क्रौंच वध पाहून व्यथित
वाल्मिकीने निषादाला दिला शाप दुर्धर।।2।।
शोकावस्थेतून काव्य पडले बाहेर
लिहिण्या रामचरित्र ब्रह्मदेवाने दिला वर।।3।।
अनुष्ठप छंदात लिहिले रामायण
चार चरणांत बद्ध चरणी आठ अक्षर।।4।।
चोवीस हजार श्लोक पाचशे सर्ग होतं
सप्त कांड प्रतिपादने रामायण थोर।।5।।
आश्विन पौर्णिमेस शुभरात्री शरदात
वाल्मिकी प्रगटले रामायण शिल्पकार।।6।।
द्रुत मध्य विलंबित षड्ज सप्त स्वर
कुश लव गाती रामायण रामा समोर।।7।।
कृपा दर्शी द्रष्टे वाल्मिकी विश्वविख्यात
वाल्मिकी वाणी सत्य होई साक्षात्कार।।8।।
वाल्मीकि काव्य शास्त्राचा करावा आदर
वाल्मिकींची सृष्टी आहे मोठी शास्त्रज्ञ थोर।।9।।
वाल्मिकी ज्ञानाला त्रिलोकी राहे सन्मान
शिकवे परिपूर्ण रामायण बहू सार।।10।।
शतकोटी श्लोक रचिले मुनी वाल्मिकीने
सर्व युगांत गाथा रचील्या अनेकवारII11II
वसिष्ठ विश्वामित्र व्यास वामविदूर
भारद्वाजादी वाल्मिकींचा करिती आदर।।12।।
वाल्मिकींचे काव्य कवींना आदर्श आधार
वाटे सुखा परते सर्व हीत जपणार ।।13।।
महाकाव्य पूर्ण अलंकार रत्नभांडार
नित्य पठावे संसाराचा हलका होई भार।।14।।
वाल्मिकींनी दिली युक्ती मती गती सर्वांना
स्मरावे नित्य जीवनी त्यांचे उपकार।।15।।
राम कृष्णांनी केला वाल्मिकींचा आदर
थोर महाकवींना वंदन करू त्रिवार ।।16।।

श्री अरुण गांगल.कर्जत रायगड महाराष्ट्र.
पिन 410201.
Cell.9373811677

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