You are currently viewing राम वाणी (मैत्री अभंग)

राम वाणी (मैत्री अभंग)

lजागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच सदस्य लेखक कवी रामदास अण्णा लिखित अप्रतिम अभंग रचना

किती गुणगान। करावे मैत्रीचे।
नाते हे खात्रीचे। फक्त एक।।

मैत्रीमध्ये नाही। सान थोर काही।
सदा सम राही। मित्रवत।।

जगामध्ये आहे। स्वार्थी नाते सारे।
फक्त मित्र खरे। आहे येथे।।

कुणाचे कुणाशी। रक्ताचे न नाते।
तरी साथ देते। सर्वकाळ।।

सुखा दुःखा मध्ये। सदा आठवण।
गोड साठवण। फक्त मैत्री।।

कठीण प्रसंगी। धाव घेई सारे।
वेळेला सामोरे। मिञ राही।।

श्रीकृष्ण सुदामा। मैत्रीचा पुरावा।
मनात धरावा। हाच मंत्र।।

वाईट चांगले। दुर्योधन कर्ण।
याला नाही वर्ण। दुजा कोठे।।

मैत्रीला जपावे ।करून विश्वास।
हिच माझी आस। राम वाणी।।

मैत्रीचा महिमा। सदा पडो कानी।
करे विनवणी। रामदास।।

रामदास आण्णा
गाव तीर्थक्षेत्र श्री चक्रधर स्वामी मंदिर
मासरुळ जिल्हा बुलडाणा
©® चे सर्व अधिकार आरक्षित आहे
7987786373

प्रतिक्रिया व्यक्त करा