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मैत्री

जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच सदस्य ज्येष्ठ लेखक कवी गीतकार संगीतकार गायक श्री अरुण गांगल यांनी जागतिक मैत्री दिना निमित्त लिहिलेली अप्रतिम काव्यरचना

अनन्य मैत्री नातं जसे श्रीराम हनुमंत
एकमेकां धारण करितात हृदयांत।।ध्रु।।

रामाची मैत्री भेदातीत जांबुवंत केवट
जटायू सुग्रीव निषादराज बिभीषण
आदर्श कृष्ण सुदामा मैत्री जाणे जगत।।1।।

देव संतांच्या ठाई असतो मैत्रीभाव सतत
जळ-मीन मृदुंग-मुखलेप नाते अतूट
सागर-सरिता बासरी-फुंक मित्र अनाहूत।।2।।

मेघ-वर्षा नेत्र-अश्रू नृत्य-घुंगरू मित्र
कागद-लेखणी मैत्री नाते निर्मळ निर्बंध
नाती रेशमी बंधन देती निखळ आनंद।।3।।

सूर्य-तेज चंद्र-शीतल चांदणं अबाधित
आकाश सागर पृथ्वी वृक्ष वेली सृष्टीचे गोत
जग रहाटी चाले हातांत घालून हात।।4।

ओळख ना अवडंबर भाषा शब्द रहित
खोली उंची मैत्रीची असें अथांग अमर्याद
निर्मिते स्वच्छ अलवार सह्रदय नात।।5।।

श्री अरुण गांगल.कर्जत रायगड महाराष्ट्र.
पिन 410 201.
Cell.9373811677.

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