जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच की सदस्या कवयित्री अख्तर पठान की बेहतरीन काव्य रचना
मरने की नशा हैं जीने का ख़ुमार भी,
खाने का मज़ा हैं तो पिने का शुमार भी…।
आशिकाना मौसम हुआ उठतीं तरंगें,
बहार बनके आया हैं मेरा यार भी…।
सागर की लहरें छू रही आसमान.,
उमड रहा देखो दिलमें वो प्यार भी..।
नींद ले गया था अब के चैन ले गया,
ले गया ज़ालिम दिल का क़रार भी..।
दोनों तरफ एक आग थी लगी हुई.,
बैचेन थे वो और हम बेक़रार भी..।
इधर इंतजार था उधर भी इंतजार हैं,
ना जाने कब आएगी अब के बहार भी..।
✍🏻 *अख़्तर पठाण.*
*(नासिक रोड)*
*मो.:-9420095259*