काव्य आराधना, राष्ट्रीय कवयित्री संमेलन, अक्षर यात्री महिला समूह आदी विभिन्न काव्य ग्रुप की सदस्या ज्येष्ठ लेखिका,तथा कवयित्री सौ.अंजली देशपांडेजी की हिंदी काव्यरचना
खलखल करती,गावोंसे बेहेती,झरनोंको लेकर चली कहाँ,
ओ,नदियाँ तुम चली कहाँ…..
लोगोंके मनकी,प्यास बुझाती,खलीयानोंमे,उपज बढाती,चली वहाँ
ओ,नदियाँ तुम चली कहाँ…..
कुंभ मेले को,पावन करती,सब जीवोंका उध्दार करती,चली वहाँ
ओ,नदियाँ तुम चली कहाँ….
कभी मै होती,रुद्रावतारी,कभी मै होती,नम्रनारी चली वहाँ
ओ,नदियाँ तुम चली कहाँ…..
कोई कहेता,मुझको माता,कोई कहेता जीवनदाता,चली वहाँ
ओ,नदियाँ तुम चली कहाँ……
दुर किनारे,जहाँ है मिलते,हरदम मेरी,राह निहारते,चली वहाँ
मै सागरसे मिलने,चली वहाँ…..
सौ.अंजली देशपांडे
नाशिक