मरहूम हाफिज़ डॉक्टर नासिर कमाल ख़ान की हिंदी काव्यरचना
आया है सावन झुमके , अपने ख़ुमार में ,
बादलो का जमघट है , बरखा बहार में …।।
बरसात का ज़माना , मौसम भी झमाझम ,
पलके बिछाए बैठे हैं , तेरे इंतज़ार में हम…।।
घर क्यों कर आओगी , हम कौन हैं तेरे ,
मोहब्बत नही, न कोई वादा क़रार में…।।
याद हैं बचपन मे जब साथ खेलते थे ,
क्या ही लुत्फ़ो मज़ा था, तक़रार में …।।
बदन की सिलवट , पायलों मे थिरकन ,
वो हसीन है ‘नासिर’ एक हज़ार में …।।
✍🏻 *मरहूम हाफिज़ डॉक्टर*
*नासिर कमाल ख़ान*
*(भोपाल)*