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श्री अंकाई मातेची आरती

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचचे सन्मा सदस्य ज्येष्ठ कवी गीतकार गायक संगीतकार श्री अरुणजी गांगल लिखित अप्रतिम आरती*

 

*”श्री अंकाई मातेची आरती”*

 

सातपुडा वासिनी अंकाई अंबा भवानी

आरती ओवाळू गिरीजा जननी।। धृ।।

जय देवी जय देवी।

 

स्वयंभू शिवाच स्थान समीप अर्धांगिनी

अंकी गणेश विराजे शृंगार सुवासिनी

पर्वती स्वयंभू प्रगटली अंबाभवानी।।1।।

जय देवी जय देवी।

आरती ओवाळू गिरीजा जननी।

जय देवी जय देवी।।

 

व्याघ्रा बैसुनी भाळी कुमकुम रेखुनी

केशसंभार सुंदर मुगुट शोभुनी

नाकी नथ कर्णफुलें तोडे परिधानी ।।2।।

जय देवी जय देवी।

आरती ओवाळू गिरीजा जननी

जय देवी जय देवी।

 

राम-लक्ष्मण-सीता भेटी अगस्ति मुनी

मुनी गण प्रवचन देती सर्वां लागुनी

शिव पार्वती गणेश ऐकती गुप्तपणी।।3।।

जय देवी जय देवी।

आरती ओवाळू गिरीजा जननी

जय देवी जय देवी।

 

नवरात्र अखंड उत्सव होत श्रीमंती

संतोषती भक्त तव दर्शन घेऊनी

जागृत स्थान नवसां पावे शिवानी।।4।।

जय देवी जय देवी।

आरती ओवाळू गिरीजा जननी

जय देवी जय देवीI

 

श्री अरुण गांगल.कर्जत रायगड महाराष्ट्र.

पिन.410201.Cell.9373811677.

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