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स्वतंत्रता दिन

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच की सन्मा. सदस्या कवयित्री विजया केळकर की लिखी हुई बेहतरीन कविता*

 

*स्वतंत्रता दिन*

 

सुनो विनती आज स्वतंत्रता दिनपर

वीरोंके शहादतको जान लो प्यारे

लहराते तिरंगेकी करते हुए मान वंदना

सब एकसाथ लगाओ जयहिंदके नारे—

 

दक्षिणमें मांके पैर सिंचे महासागरकी लहरें

जलही समृद्ध करे पूरब-पश्चिम किनारे

उत्तरीय जल बन हीमचट्टाने दे रहे पहारे

चारोंदिशाओंसे सुनो जयहिंदके नारे—

 

राष्ट्रप्रेमही बस धर्म है सबका सर्वोपरी

उसकेलिए तोड विषमताकी दीवारे

लगाओ मिट्टी-तिलक जहां जन्म लिया

कैसी डगमग,जब गूंज उठे जयहिंदके नारे—

 

‘वीरता-त्याग’ मांके माथेका सिंदूर

‘शांती-स्नेह’ मनमें,ना ढूंढ मारे-मारे

‘समृद्धता’ हरियाली डगर-डगरपर पाये

मानवताका चक्र घुमायेंगे जयहिंदके नारे—

विजया केळकर_____

नागपूर

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