*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच के सदस्य कवि वैद्यराज भूपाल त्र्यंबक देशमुख ने लिखी हुई बेहतरीन कविता*
*दूसरा तैयार था*
हम उनके लिये समंदर पार कर के आ गये
पता चला उनको हमसे ना समंदर से प्यार था
किसी की फिकर में थी वो हम थे खौफ़ में
बाद में पता चला उसका दूसरा कोई यार था
वफ़ादारी तो कुत्तों से सीखनी चाहिये जरा
हमने जो पाल रखा था साला वो सियार था
हम बेहद मरते थे उनपर हमे पता ही नही था
हमारे दूर होते ही उनका तो दूसरा तैयार था
हम आज तक उनको समझते थे अक्ल-ए-अमीर
पता नही लोगों में हमसे कम उनका मयार था
*©सर्वस्पर्शी*
©कविवर्य वैद्यराज भूपाल त्र्यंबक देशमुख.
9823219550

