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॥ दर्द..॥

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचकी ज्येष्ठ सदस्या लेखिका कवयित्री प्रा सौ सुमती पवार की लिखि हुई बेहतरीन कविता*

 

  *॥ दर्द..॥*

 

हर दर्दका इलाज नही दवाखानेमे..

और नहीं वो मैखानेमे

दर्द तो दर्द है, आता रहा हर युग जमानेमे…

 

अगर इलाज होता तो मिट जाता,

द्रौपदीके वस्त्रहरण के बाद

क्यूं याद आते खुले केश उसे बार बार…

आंसू निकलते महलमें…

 

कृष्ण का मरहम भी नहीं चला

बोली रूधीर मे केश डुबाउंगी

तभी मेरे तनमनकी आग कम होगी….

दु:शासनको तडपता देखूंगी रूधीरमे….

 

अभीभी घुमता हे सरमें जख्म लेके अश्वत्थामा

अबतक इलाज नहीं मिला

क्या करेगा वो किसिसे शिकवा गिला

कृष्णने दिया सरका मणी द्रौपदीको मिला…

 

कर्णका रथ फसा कृष्ण हंसा बोला…कहॅां था तेरा न्याय, अभिमन्यूको सबने मिलके मारा,

द्रौपदीको गाली दी तब, अरे कर्ण…

अब तू कैसा बेचारा, मै खुद यहॅां होकर भी बेसहारा….

 

ना मिला द्रौपदीको, ना सीता को ना कुंतीको

मिला मरहम

साथही पाया सबने दर्द को मरते दम तक…

 

ना ढूंढो लोगो मरहम.. दर्द को सहते चलो

कर्म है अपना अपना, समझो और ढोते चलो…सहते चलो सहते चलो.

 

प्रा.सौ.सुमती पवार.नाशिक

(९७६३६०५६४२)

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