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“देवर्षी नारदमुनी”

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचचे सन्मा सदस्य कवी गीतकार गायक संगीतकार अरूण गांगल लिखित अप्रतिम काव्यरचना*

 

*”देवर्षी नारदमुनी”*  

 

नारदमुनी म्हणती नारायण नारायण

बहुरूपी त्यांची ख्याती संचार त्रिभुवनांत।।धृ।।

 

एक तारी शिखा जटा धारी प्रसन्नमूर्ती

भस्म विलेप पितांबर धारी चिपळ्या हाती

देवऋषींचे सुखदु:खांत जाती धावून।।1।।

 

अचानक प्रकटती समन्वय साधती

देवादिकांचे कारभारी राखती सत्यवृत्ती

सर्वांचे विश्वासू करती वृत्त सकलंन ।।2।।

 

निष्काम वृत्ती करती समयोचित उक्ति

आदर राखती ब्रह्मा विष्णू महेशाप्रति

विश्व काळजी वहाती करती कथा किर्तन।।३।।

 

काव्य:श्री अरुण गांगल कर्जत रायगड महाराष्ट्र.

पिन.410201.Cell.9373811677.

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