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शिर्षक:- दर्द

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच की सन्मा. सदस्या कवयित्री अख्तर पठाण की लिखी हुई हिंदी कविता*

 

*शिर्षक:- दर्द*

 

दर्द ही ज़्यादा मिले हैं

तो वहीं नज़र आएंगे,

बग़ैर गुनाह सज़ा पाई हैं

तो सामने वहीं दिखेंगे..।१।

 

मेरे ग़म तो बस ऐसे हैं

जो ना कभी बता पाए,

औंर ना कभी जता पाए

बस उन्हें हरदम सहते जाए..।२।

 

सहते सहते हुए मर जाऊँ

यादों में सबके बहते जाऊँ,

याद भी न किए ग़म ना करूँ

गिले शिकवे कभी ना गाऊँ..।३।

 

चुपके चुपके आँसू बहाना

दर्द-ए-दिल को दिलमें दबाना,

सिख लिया हैं ख़ुद ही हमने

राज़-ए-ज़िन्दगी का नया तराना..।४।

 

किसीसे ना कुछ चाहा,

हमने कभी ना कुछ मांगा,

सदा ख़ुश रहें हर एक कोई

रब से यहीं दुआओं मे मांगा..।५।

 

अपने ही हमें अपना

कभी समझ ना पाए,

*अख़्तर* ख़लिश दिलमें लिए

दुनिया से रूख़सत किए..।६।

 

 

✍🏻 *अख़्तर पठाण.*

*(नासिक रोड)*

*मो.:- 9420095259*

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