*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच की सदस्या कवयित्री अख्तर पठान की माँ की याद में लिखी गई बेहतरीन कविता*
*मेरी माँ*
सबसे अनोखी
जहाँ से निराली,
मेरी माँ थी मेरी
प्यारी सहेली..।१।
आज जो कुछ
हमने हैं पाया,
माँ ने ही हमको
सबकुछ सिखाया..।२।
जीवन के सारे
सुख दुख सहना,
सब्र का हाथ तुम
हरपल थामे रहना..।३।
ज़िन्दगी का सही
पाठ हमें पढाई,
सही गलत की
पहचान बताई..।४।
मुश्किल घडी में
हिम्मत से काम लेना,
वक्त पर अपनों का
हाथ थाम लेना..।५।
इससे भी बढकर
माँ तुने हैं समझाया,
जीवन का सार
तुने ही बतलाया..।६।
माँ तेरी सिख
मैं कैसे भुलू,
शब्दों को तेरे
अपनी आँसू से तोलू..।७।
हर घडी माँ तेरी
याद सताती हैं,
भिगी हुई पलकें
सबको रूलाती हैं..।८।
माँ आज हमारे
साथ तू नहीं हैं,
पर लगता हैं तू
यही कहीं हैं..।९।
तू नहीं तो तेरा
आशीर्वाद साथमें,
यहीं जज़्बात हैं
हमारे दिलमें..।१०।
✍🏻 *अख़्तर पठाण.*
*(नासिक रोड)*
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