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“राधा बावरी”

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचके सन्मा.सदस्य कवी गीतकार गायक संगीतकार अरूणजी गांगल की लिखी हुई बेहतरीन हिंदी कविता*

 

*”राधा बावरी”*

कृष्ण हृदय विराज रहि राधा बावरी

विवेक विनय संग बसि राधा गोरी।।धृ।।

 

राधा दिखे सिमटसी खुद रहे असिमित

राधा समझे धारा से अलग विपरीत

रहे कृष्ण में लीन कृष्ण का श्वास बनिरी।।1।।

 

कान्हा को मनमे रमाये करें विचरण

उसे बिना बताये रही राधा रमण

बासुरी सुनके मिलनसे भई विभोरी।।2।।

 

रास लिला में रमि कान्हा संग हो नि:संग

कृष्ण समीप पहूंची न कोई उमंग

खुद को पहचानके रही निर्विकारी।।3।।

 

रही वेणू सुर मे संगीतमे मृदंगमे

पलभर न बिताये बिना कृष्ण नामे

आदर्श रही परिभाषित भारतीय नारी।।4।।

 

काव्य:श्री अरुण गांगल. कर्जत. रायगड.महाराष्ट्र.पिन.410 201.

Cell.9373811677.

मेरे you tube चॅनल पर “arungangal” ईस नाम से 46 (सॉंग्स) गीत उपलब्ध है। उसका काव्य, गायन, संगीत, निर्मिती सब मेरा ही है। उसमे हिंदी में राष्ट्रभक्ती पर गीत बनाया है।

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