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सखा पांडुरंग….

*मनस्पर्शी साहित्य परिवार तथा माझी लेखणी साहित्य समूहाच्या सन्मा. सदस्य जेष्ठ कवयित्री अरुणा गर्जे लिखित अप्रतिम अभंग रचना*

 

*सखा पांडुरंग….*

 

विठ्ठलाच्या पायी | धन्य झाली वीट |

करी सारे नीट | पांडुरंगा ||

 

दर्शनाची आस | भाबड्या भक्तास |

माऊलीचा ध्यास | मनी असे ||

 

वाजती मृदंग | भजनाच्या संग |

सखा पांडुरंग | नाचतसे ||

 

टाळ नि चिपळी | वाजे संग संग |

उभा पांडुरंग | डोळा दिसे ||

 

कशाची ना चिंता | जीव धरी ठेका |

झेंडा नि पताका | नाचतसे ||

 

जीव करी घाया | वेग येई पाया |

दर्शन रे घ्याया | माऊलीचे ||

 

वारकऱ्या संग | गातो रे अभंग |

झालो रे निसंग | विठुराया ||

 

पायाची चाहूल | लागे आसपास |

लपेना सुवास | तुळशीचा ||

 

होवो आबादानी | गातो तुझी गाणी |

नको ती विराणी | पांडुरंगा ||

 

@अरुणा गर्जे

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