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पवनसुत

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचच्या सन्मा सदस्या ज्येष्ठ कवयित्री डॉ.दक्षा पंडित लिखित अप्रतिम अभंग रचना*

 

*पवनसुत*

 

चैत्र पौर्णिमेला| मारुती जन्मला|

आनंद जाहला| अंजनीला ||१ ||

 

केशरी नंदन| बहू बलवान|

भक्त हनुमान| श्री रामाचा ||२||

 

फळ समजुनी | सूर्याकडे धावे|

कसे आवरावे| बाळास ह्या || ३ ||

 

सीतेस शोधण्या| सागरासी पार|

शिव अवतार| आंजनेय || ४||

 

अशोक वनात | सीतेच्या शोधात|

करितो आघात | लंकेवरी || ५||

 

लक्ष्मण मूर्छित| आणे देवगिरी|

आला शुद्धीवरी | औषधीने || ६||

 

शेंदूर अंगास| अंगी तेलधार|

गळी रुई हार || प्रिय असे || ७||

 

उर्जा,ओज खूप |शक्ती,भक्ती रूप|

आगळे स्वरूप| मारुतीचे|| ८||

 

छाती फोडताच| दिसे सीताराम|

मुखी रामनाम| सदैव चि ||९||

 

शक्ती देवतेची| करू उपासना|

*दक्षाची कामना*||पूर्ण व्हावी ||१०||

 

डॉ दक्षा पंडित

दादर,मुंबई

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