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“श्रीराम सर्वव्यापी”

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचचे सन्माननीय सदस्य कवी गीतकार गायक संगीतकार अरुण गांगल लिखित अप्रतिम काव्यरचना*

 

*”श्रीराम सर्वव्यापी”*

 

श्रीराम सर्वव्यापी असे तन मनांत

राम गावा राम घ्यावा विसावे हृदयांत।।धृ।।

 

राम कथा सदा होत पतित-पावन

श्रीराम कथा सर्वश्रेष्ठ त्रिकाळांत

श्रीराम अंतर्यामी वसे घटाघटांत।।1।।

 

राम हृदयांतला असे हुंकार नाद

सर्वसाक्षी दयाळू श्रीराम उदात्त

आदर्श व्यक्तिमत्व होत परिपूर्ण ।।2।।

 

श्री अरुण गांगल.कर्जत रायगड महाराष्ट्र.

पिन.410201.

Cell.9373811677.

 

 

 

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