*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच सदस्य लेखक कवी रामदास पवार (आण्णा) लिखित अप्रतिम अभंग रचना*
*अभंग (राम वाणी)*
आता पांडुरंगा। चित्ती राहो भाव।
मनी तुझे नाव। सर्वकाळ।।१।।
तुझे नाव घेता। लाभे जीवा शांती।
मनातील भ्रांती। कमी होते।।२।।
पहाया स्वरूप। सावळ्या हरीचे।
धावती हरीचे। वारकरी।।३।।
वारकरी पंथ। थोर साधू संत।
सुखास ना अंत। येथे कधी।।४।।
चरणी प्रार्थना। तुझ्या पांडुरंगा।
धाव घे श्रीरंगा। एक वेळ।।५।।
चित्त स्थिर होवो। विठ्ठला चरणी।
करे विनवणी। रामदास ।।६।।
राम कृष्ण हरी
रामदास आण्णा