*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच सदस्य ज्येष्ठ लेखक, कवी, गायक, संगीतकार, गीतकार, श्री.अरुण गांगल लिखित अप्रतिम काव्यरचना*
*”हमारा भारत”*
महान है हमारा देश भारत
स्वर्णिम महिमा हैं विश्व विख्यात।।ध्रु।।
उत्तुंग हिमालय सदा चमकत
मुकुट मणि सोहें सब परबत
प्रकृती सृष्टी का सौंदर्य हैं अद्भुत।।1।।
आदर्श रहे ग्रंथ वेदोपनिषद
रामायण पुराण गीता महाभारत
देवादि ऋषी मुनी संतोंका हैं भारत ।।2।।
गंगा यमुना नर्मदा सिंधू कावेरी
नदियां बहती सरस्वती गोदावरी
हजारो नदियां करे भू सुफलीत।।3।।
तीनों दिशाए विशाल सागर समृद्ध
मिले नमक मत्स्य मोती खनिज
यातायात उद्योग रहे सुरक्षित।4।।
राजा रानिंयो ने किया राज विभूशीत
स्वातंत्र सैनिकोंने किया प्राणार्पण
रोका आक्रमण गौर किया प्रजाहित।।5।।
बारह ज्योतिर्लिंग अभेद्य ऊर्जा स्रोत
हजारो मंदिर तीर्थस्थान मस्जिद
संगीत कला संस्कृती हैं निसर्ग दत्त।।6।।
पशु-पक्षी अन्न फल फुल आयुर्वेद
उद्योग किसान करे देश समृद्ध
भेद रहित लोकशाही विश्व विख्यात।।7।।
वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!
श्री अरुण गांगल.कर्जत रायगड महाराष्ट्र.
पिन 41020.
Cell.9373811677.