जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच की सदस्या कवयित्री अख्तर पठाण की काव्यरचना
*हमने जीसे चाहा ,उसे पा ना सके,*
*जिसने हमें चाहा , हम उसके हो ना सके ….!!*
*तेरी यादों में हम खोये से रहते,*
*अब यु ही गुज़रते है बस दिन-और-राते …!!*
*तेरी मिठीं यादों ने बेचैन सा कर दिया,*
*हाय अब क्या बताए हमें क्या हो गया …..!!*
*वो लम्हें, वो हसीन पल सोने नहीं देते,*
*दिल रो रो उठता है आँसु रोने नहीं देते ….!!*
*ज़िंदगी यु ही गुज़र रही तेरी यादों के सहारे,*
*”अख़्तर” अब क्या करे जब वो ही ना रहे हमारे ….!!*
✍🏻 *अख़्तर पठाण*
*(नासिक रोड)*
*मो.:-9420095259*
सुंदर