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जमाना बदल रहा है

*जागतिक साहित्य कला एवं व्यक्तित्व विकास मंच के सम्मा सदस्य कवि चंद्रशेखरजी कासार की लिखी हुई बेहतरीन कविता*

 

*जमाना बदल रहा है* 

 

साल बदलते ही कहते है

जमाना बदल रहा है

पुराना अब कुछ नही रहेगा

अब सब नया होने लगा है

 

पुरानी मशाल अब सिर्फ

बॅनर्स पे दिखती है

तलवारे जंग खा रही है

बंदूके ड्रोन से

निशाना लगाती है

जमाना बदल रहा है

 

कागजकी लिखावट

रद्दी हो रही है

डिमक को खाने को

नही बचा कागज

अब मोबाईल के जरिए

ई-बुक ऑनलाईन छप रही है

जमाना बदल रहा है

 

अपने साथी दोस्त रिश्तेदार

पुराने होने लगे है

कुछ लोग करवट

कोई किनारे होने लगे है

बाकी हमसे दूर जाने लगे है

नया जमाना नये लोग

नया नया सा माहोल

दिखने लगा है

जमाना बदल रहा है

 

मौसम भी अब

करवटे बदलने लगा है

कभी कडी धूप मे थंड

और थंड मे धूप

बिचबिचमे कभीभी

बारिश बरसाने लगा है

जमाना बदल रहा है

 

कवी:-

*चंद्रशेखर प्रभाकर कासार*

*चांदवडकर, धुळे.*

7588318543.

8208667477.

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