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कर्मात पांडुरंग

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचचे सन्मा सदस्य तथा अध्यक्ष,कोमसाप सावंतवाडी लेखक कवी दीपक पटेकर लिखित अप्रतिम अभंग रचना*

 

*कर्मात पांडुरंग*

 

मुखी तुझे नाम | सेवा हेचि काम |

भासे पद धाम | मायबापे ||१||

 

जमे नाही जेणे | पंढरीसी येणे |

कर्मात पहाणे | पांडुरंगे ||२||

 

बळी शिवारात | विठ्ठल रूपात |

भिजतो घामात | श्रमाचिये ||३||

 

जुंपुनिया औत | हाकतोय जोत |

श्रमाचाही स्रोत | विठू असे ||४||

 

भेटीलागी येशी | आस जागविशी |

मळा फुलविशी | तव रूपे ||५||

 

नामात भेटला | संगती रंगला |

विठ्ठल दंगला | शेतामध्ये ||६||

 

दीपी म्हणे वारी | आणिक पंढरी |

रामकृष्ण हरि | कर्म माझे ||७||

 

दीपक पटेकर (दीपी)

सावंतवाडी

८४४६७४३१९६

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