*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच के सन्माननीय सदस्य कविवर्य वैद्यराज भूपाल त्र्यंबक देशमुख की लिखी हुई बेहतरीन कविता*
*हमे तो नाज हैं*
पैसा तो सब चाहते है करामत से
कौन मिलता हैं अब शराफ़त से ।।
पाप करने मे मजा आता सभी को
डर तो लगता है पर कयामत से ।।
पूछना बंद करो हम तो चूप ही है
नाराज क्यूँ होते हो मेरी हिदायत से ।।
हमने झूठ नही कहा किसी को भी
लोगों विश्वास करो हमारी रिवायत से ।।
राज है सब तरफ उपरवाले का
हमे तो नाज है हमारी रियासत से ।।
*©सर्वस्पर्शी*
©कविवर्य वैद्यराज भूपाल त्र्यंबक देशमुख.
नासिक ९८२३२१९५५०

