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मन मे बसे है मेरे राम

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचके सन्मा.सदस्य कवी चंद्रशेखर कासार की लिखी हुई बेहतरीन कविता*

 

*मन मे बसे है मेरे राम* 

 

कैसे जाऊ मै अयोध्या धाम

जब मन मे बसे है मेरे राम

कण कण मे बसे है मेरे राम

तन के रोम रोम मे बसे है राम

 

श्रीराम जय राम जय जय राम

श्रीराम जय राम जय जय राम //१//

 

कदम कदम पर दिखते है राम

हर हर चरण मे दिखते है राम

पग पग चलते दिखते राम

पैरोंकी आहट मे समाते है राम

 

श्रीराम जय राम जय जय राम

श्रीराम जय राम जय जय राम //२//

 

मन के मंदिर मे रहते है राम

दिल के अंदर रहते है राम

आसु की बुंद मे भी रहते है राम

जुबा जुबा पर रहते है राम

 

श्रीराम जय राम जय जय राम

श्रीराम जय राम जय जय राम //३//

 

यहाॅं वहॉं जहॉं तहॉं है राम

घर आंगण गली गली मे है राम

हर मंदिर देवालय मे है राम

रस्ता रस्ता हर गाव मे है राम

 

श्रीराम जय राम जय जय राम

श्रीराम जय राम जय जय राम //४//

 

शबरी के झुटे मिठे बेर मे है राम

हनुमान की छाती मे है राम

हर भक्त की श्रद्धाभक्ती मे है राम

जीवन की ज्योती मे है राम

 

श्रीराम जय राम जय जय राम

श्रीराम जय राम जय जय राम //५//

 

कवी :-

*चंद्रशेखर प्रभाकर कासार*

*चांदवडकर, धुळे.*

७५८८३१८५४३.

८२०८६६७४७७.

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