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बंधुता…(अष्टाक्षरी रचना)

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचचे सन्मा सदस्य कवी शशांक देशमुख लिखित अप्रतिम काव्यरचना*

 

*बंधुता…*(अष्टाक्षरी रचना)

 

संत थोर महात्म्यांची

आठवूया गोड वाणी…

भेद विसरूनी सारे

गाऊ बंधुतेची गाणी…// १ //

 

रूजो बंधुतेचे बीज

सर्वदूर जनी-मनी…

वृक्ष सलोख्याचा कोठे

तेंव्हा येई बहरूनी…// २ //

 

बंधुभाव लाखमोली

ठेऊ तयाचा कैवार…

दीन दुबळ्या जनांना

थोडा देऊ हातभार…// ३ //

 

कैसा ताव स्वार माथी

भरे श्रेष्ठत्वाचा आव…

पोसे काय? जो उराशी

नुसताची दुजाभाव…// ४ //

 

भिन्न जरी धर्म जाती

एक आपुले वतन…

माय भारतीची लेकं

करू बंधुता जतन…// ५ //

 

सोडुनिया हेवेदावे

मनी वसवा सद्भाव…

जेथे सौहार्दाची नांदी

वसो एकेक ते गाव…// ६ //

 

सोडुनिया थाटमाट

धरू बंधुतेची वाट…

विणुनिया स्नेहजाळे

बांधू एकतेची गाठ…// ७ //

 

✍️शशांक दिनकरराव देशमुख©®

चांदुरबाजार, जि. अमरावती

(महाराष्ट्र राज्य) – ४४४ ७०४

मो. क्र. ९९२३५३६३२५

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