*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचचे सन्मा सदस्य कवी गीतकार गायक संगीतकार श्री अरुण गांगल लिखित अप्रतिम काव्यरचना*
*“श्री गणेश निर्गुण निराकार”*
श्री गणेश ब्रह्मणस्पती निर्गुण निराकार
मूर्तिमंत चैतन्य महोपदेश खरोखर।।धृ।।
एकदंत शूर्पकर्ण वक्रतुंड लंबोदर
गजमुख अनेक रुप सगुण साकार।।1।।
विश्वाचा कर्ता धर्ता विघ्नहर्ता मनोहर
सच्चिदानंद विद्या कलांचा आविष्कार।।2।।
गकार:पूर्वरुपम मध्यम रुप आकार
बिंदू उत्तररुपम शांत्यरुपम अनुस्वार।।3।।
एक नादात्मक संहिता एक संहिता अक्षर
गणेश विद्या ऋषी निच्छरुत गायत्री छंद थोर।।4।।
अकार उकार मकार चतुर्थ बिंदू नंतर
नाद अर्थ अनंत मंत्रांचा घडे साक्षात्कार।।5।।
काव्य:श्री अरुण गांगल कर्जत रायगड.महाराष्ट्र.
पिन.410201.Cell.9373811677.