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अभंग

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचच्या सन्माननीय सदस्य ज्येष्ठ लेखिका कवयित्री ज्योत्स्ना तानवडे लिखित अप्रतिम अभंग रचना*

 

!! अभंग !!

 

मायबापा लागी | मना ओढ लागे |

धावे वेगेवेगे | माहेरासी ||

 

पंढरीची वाट | माहेरासी जाई |

बाप रखुमाई | भेटतसे ||

 

मन तृप्त होई | देखोनिया डोळा |

विठ्ठल सावळा | माय बाप ||

 

मायबाप करी | प्रेमे कुरवंडी |

भक्तीची आवडी | माऊलीस ||

 

मायबाप भेटे | निवालीसे आस |

पूर्ण होई ध्यास | पंढरीचा ||

 

ज्योत्स्ना तानवडे.

पुणे.५८

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