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“देवा पांडुरंगा”

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचच्या सन्माननीय सदस्या ज्येष्ठ लेखिका कवयित्री ज्योत्स्ना तानवडे लिखित अप्रतिम अभंग*

 

*”देवा पांडुरंगा”*

 

देवा पांडुरंगा | पंढरीच्या राया |

तुझी कृपा छाया | सदा लाभो ||१||

 

हेची देई दान | दूर हो अज्ञान |

मिळो आत्मज्ञान | शुद्धमती ||२||

 

जळो पापराशी | घडो पुण्यराशी |

रहावा पाठीशी | तुझा हात ||३||

 

देवा पांडुरंगा | फिटो बुद्धी भ्रम |

मुखी तुझे नाम | अखंडित ||४||

 

तूच मायबाप | सुख वारे माप |

करुणा अमाप | तुज पाशी ||५||

 

आलो ऋषिकेशी | तुझ्या चरणाशी |

धरी हृदयाशी | मायबापा ||६||

 

देवा पांडुरंगा | तुझी कृपा व्हावी |

संकटे सरावी | अवघ्यांची ||७||

 

ज्योत्स्ना तानवडे.

वारजे, पुणे.५८

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