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रिश्तोंकी अहमियत..!

*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंचके सन्मा.सदस्य कवी दीपक पटेकर की लिखि हुई बेहतरीन हिंदी कविता*

 

*रिश्तोंकी अहमियत..!*

 

कौन है अपना कौन पराया

रिश्तोंकी क़दर हुई पुरानी

बेटा ना पहचानें बाप को

घर घर की हैं यहीं कहानी

 

सुख में होते है सारे दीवाने

दुख में कौन किसे पहचानें

सुख दुख का है साथी रिश्ता

रिश्तोंकी अहमियत को जाने

 

जब भी ठोकर खाकर गिरते है

हाथ देकर उठाते है बस अपने

दूर से देखकर हँसता है जमाना

तब टूटते है प्यारभरे सब सपने

 

मतलब के दोस्त बोलते है मीठे

अपनोंके बोल है लगते कड़वे

मिठास से भी लगे प्यारी कटुता

पाते है जब दोस्तके भीतर भड़वे

 

रिश्ता प्यार से बांधकर रखना

खेल ना समझो जीवन में नाता

दिल बहलानेवाले मिलते है खूब

यूंही नहीं किसी पे कोई भाता

 

© दीपक पटेकर (दीपी)

सावंतवाड़ी

८४४६७४३१९६

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