*जागतिक साहित्य कला व्यक्तित्व विकास मंच की सन्माननीय सदस्या कवयित्री प्रा.सौ.सुमती पवार की लिखी हुई बेहतरीन कविता*
*एक पेड जरूर लगाओ*
एक पेड जरूर लगाओ और अपनी जान बचाओ
पेडोपर निर्भर भविष्य अपना इस बात को मत भुलाओ…
हर पेड जान बचाए और ॲाक्सिजन बढाए
लाखो लिटर पानी भुमीमे अपने साथ जताए..
पेड लगाओ और बढाओ, निगरानीमे रख्खो
आत्मनिर्भर होने तक वो पल्लू नाही छुडाओ..
घरघरमे पेड की छाया घरघरमे पेड की माया
छॅांवमे बैठे हरएक दुलारा सुख सुकून वो पाया.
वो किलबिल करते पंछी पांथस्थ राह गुजारे
टहनीपरवे अपने घोंसले वे पवनकेभी दुलारे..
वे फूल कितने सुहाने माला बनकर पहनाओ
उसी फुलके मधुर फलोसे तनमन भी बहलाओ..
पेडोसे घरमे झूला पेडोसे जलता चुल्हा
छप्परभी हे पेडोकारे मनुष्य कैसा भुला..
ॲांखिरतक साथ निभाए वो खुदको भी मिटाए
दोस्त ना मैने ऐसा देखा सारा जगत चलाए..
कुछ बात समझमे आयी जो बारबार दोहराई
पेडोसे है भविष्य अपना अब समझो ना गहराई..
प्रा.सौ.सुमती पवार नाशिक
(९७६३६०५६४२)